प्रश्न 1. विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर- उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी
देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हों । जैसे-भारत की आर्थिक राजधानी ‘मुम्बई’।
प्रश्न 2. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर-भूमंडलीकरण ने विश्व अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत को भी प्रभावित किया है । आज भूमंडलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। भारत में रहने वाले लोगों के लिए भूमंडलीकरण के दौर में
रोजगार के कई नवीन अवसर उपलब्ध हुए हैं, जैसे टूर एवं ट्रेवल एजेंसी (यातायात की सुविधा), रेस्टोरेंट, रेस्ट हाउस, आवासीय होटल इत्यादि । सूचना एवं संचार के क्षेत्र में भी क्रांति आ गई है। इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं । आर्थिक भूमंडलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को बढ़ाया है और उसी अनुरूप उसकी पूर्ति हेतु नई-नई सेवाओं का उदय हो रहा है जिससे जुड़कर लाखों लोग अपना जीविका चला रहे हैं। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय लोगों के जीवन-स्तर को भी बढ़ाया है
प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया? [2018A, TBQ]
उत्तर-विश्व बाजार के स्वरूप का विस्तार औद्योगिक क्रांति के बाद ही हुआ। इस क्रांति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया । जैसे-जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ, बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया. और 20वीं शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली। उत्पादन के बढ़ते आकार से कच्चे मालों की आवश्यकता हुई जिसने
इंगलैंड को उत्तरी अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर ध्यान आकर्षित किया जहाँ उसे कच्चा माल के साथ बना-बनाया एक बाजार भी मिला।
प्रश्न 4. विश्व बाजार के लाभ-हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर—विश्व बाजार के लाभ विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योग को तीव्र गति से बढ़ाया । व्यापार और उद्योगों के विकास ने पूँजीपति, मजदूर और मध्यम वर्ग नामक तीन शक्तिशाली सामाजिक वर्ग को जन्म दिया । आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था का उदय और विकास इसी के बाद हुआ । भारत जैसे औपनिवेशिक देशों को सीमित मात्रा में ही सही औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण विश्व बाजार के आलोक में ही हुआ । विश्व बाजार ने नवीन तकनीकों को सृजित किया जिनमें रेलवे वाष्य इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राफ, बड़े जलप्रपात महत्त्वपूर्ण रहे । इन तकनीकों ने विश्व बाजार और उसके लाभ को कई गुना बढ़ा दिए। शहरीकरण का विस्तार और जनसंख्या में महत्त्वपूर्ण वृद्धि वैश्विक व्यापार का एक बड़ा लाभकारी परिणाम था । विश्व बाजार की हानि विश्व बाजार ने एशिया और अफ्रीका में साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद के साथ एक नये युग को जन्म दिया, साथ-ही-साथ भारत जैसे पुराने उपनिवेशों का शोषण और तीव्र हुआ । उपनिवेशों की अपनी स्थानीय आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था जिसका आधार कृषि और लघु तथा कुटीर उद्योग था, नष्ट हो गई । व्यापार में वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता ने औपनिवेशिक लोगों की आजीविका को छीन लिया। औपनिवेशिक देशों में विश्व बाजार ने अकाल, भुखमरी, गरीबी जैसे मानवीय संकटों को भी जन्म दिया ।
प्रश्न 5. 1929 के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें।
उत्तर-1929 के आर्थिक संकट का बुनियादी कारण स्वयं इस अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही समाहित था। प्रथम विश्वयुद्ध के चार वर्षों में यूरोप को छोड़कर बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार होता गया, उसके मुनाफे बढ़ते गए। दूसरी तरफ अधिकांश लोग गरीबी और अभाव में पिसते रहे । नवीन तकनीकी प्रगति तथा बढ़ते हुए मुनाफे के कारण उत्पादन में भारी वृद्धि हुई लेकिन उसे खरीद सकने वाले लोग काफी कम थे कृषि क्षेत्र में भी अति उत्पादन से कृषि उत्पादों की कीमतें गिरी क्योंकि उसे खरीदने वाले लोग बहुत कम थे । आधुनिक अर्थशास्त्री काडलिफ ने लिखा है कि विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यान्नों के मूल्य की विकृति 1929- 32 के आर्थिक संकटों का प्रमुख कारण थी। 1920 के दशक के मध्य में बहुत सारे देशों ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी युद्ध से तबाह हो चुकी अर्थव्यवस्था को नये सिरे से विकसित करने का प्रयास किया । अमेरिकी पूँजीपतियों ने यूरोप को कर्ज दिए । लेकिन, अमेरिका के घरेलू स्थिति में संकट के संकेत मिलते ही वे उन देशों से कर्ज वापस माँगने लगे जिससे यूरोपीय देशों के बीच गंभीर आर्थिक संकट छा गया ।
प्रश्न 6. विश्व बाजार के स्वरूप को समझाएँ।
उत्तर 18वीं सदी के मध्य भाग से इंगलैंड में बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन आरंभ हुआ। ये कारखाने वाष्प इंजन से चलते थे। इस प्रक्रिया से वस्तुओं का उत्पादन काफी बढ़ा । उत्पादन के बढ़ते आकार के हिसाब से कच्चे माल की आवश्यकता हुई जिसके कारण इंगलैंड का ध्यान उ० अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर गया जहाँ उसे पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल तथा बना-बनाया एक बाजार भी मिला। इन्हीं दो चीजों पर औद्योगिक क्रांति सफल होता, इसलिए इंगलैंड ने इन प्रचुर संसाधनों पर स्थाई अधिकार का प्रयास आरंभ किया। इससे उपनिवेशवाद नामक एक नवीन शासन-प्रणाली विकसित हुई। 18वीं और प्रारंभिक 19वीं शताब्दी का विश्व बाजार स्वरूप का आधार था-कपड़ा उद्योग ।
प्रश्न 7. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के योगदान ( भूमिका) को स्पष्ट करें
उत्तर-भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न देशों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया उन्नीसवीं सदी के मध्य से लेकर प्रथम महायुद्ध के आरंभ तक काफी तीव्र रही। इस दौरान वस्तु, पूँजी और श्रम तीनों का अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह लगातार बढ़ता गया। इसमें इस दौरान विकसित नवीन तकनीकों का भी उसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा ।
‘भूमंडलीकरण धीरे-धीरे सम्पूर्ण विश्व के अर्थतंत्र का नियामक हो गया । इसके प्रभाव को कायम करने में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ-साथ पूँजीवादी देशों की बड़ी-बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ (बहुराष्ट्रीय कंपनी) का बहुत बड़ा योगदान है।
प्रश्न 8. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- अर्थव्यवस्था में आनेवाली वैसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग और व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए, लाखों लोग बेरोजगार हो जाएँ और कंपनी का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत न रहे । इसे ही हम आर्थिक संकट कहेंगे।
प्रश्न 9. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर- भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है ।
प्रश्न 10. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है ?
उत्तर कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करनेवाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पूँजीवादी देशों की बड़ी बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ हैं।
प्रश्न 11. महान आर्थिक मंदी से आप क्या समझते हैं? [2019C]
उत्तर_महान् आर्थिक मंदी 1929 ई० में हुआ। इसका प्रमुख कारण था-अति उत्पादन। प्रथम विश्वयुद्ध के समय कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की गई। युद्धोपरांत खरीददारों की सवंख्या कम हो गई। इससे कृषकों एवं उद्योपतियों दोनों की स्थिति खराब हो गई।
प्रश्न 12. ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन जुलाई 1944 ई. में अमेरिका के हैम्पशायर नामक स्थान पर हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार था, क्योंकि इसी आधार पर विश्वशांति स्थापित की जा सकती थी।
प्रश्न 13. 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन करें।
उत्तर-1950 से 1960 के दशक में महत्त्वपूर्ण आर्थिक संबंधों का विकास हुआ था। विश्व में साम्यवादी विचार के प्रसार को रोकने के लिए समन्वय और सहयोग के नवीन युग की शुरुआत की गई जिसे यूरोप के एकीकरण के नाम
से हम जानते हैं । इस दिशा में पहला प्रयास 1945 के पहले फ्रांस के विदेश मंत्री ब्रियां के यूरोपीय संघ के विचार के रूप में हम देखते हैं। लेकिन, स्तविक रूप से इसकी शुरुआत 1944 में उभरकर सामने आई जब नीदरलैण्ड, बेल्जियम और लग्जेमवर्ग ने ‘बेनेलेक्स’ नामक संघ बनाया । इसी प्रकार 1948 में ब्रेसेल्स संधि हुई जिसने यूरोपीय आर्थिक सहयोग की प्रक्रिया कोयला एवं इस्पात के माध्यम से शुरू की। इन प्रयासों के बीच पहला बड़ा कदम 1957 में उठाया गया । उस साल यूरोपीय आर्थिक समुदाय, यूरोपीय इकोनॉमिक कम्युनिष्ट (ई०ई०सी०) की स्थापना की गई। इसमें फ्रांस, प० जर्मनी, बेल्जियम, हॉलैण्ड, लग्जेमबर्ग और इटली शामिल हुए। इन देशों ने एक साझा बाजार स्थापित किया।
प्रश्न 14. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर साधारण भाषा में वैश्वीकरण का अर्थ है अपनी अर्थव्यवस्था और विश्व अर्थव्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना । इसके अन्तर्गत हम अपने देश से निर्मित माल और सेवाएँ दूसरे देशों में बेच सकते हैं। इस प्रकार, वैश्वीकरण के
कारण विश्व के विभिन्न देश अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे पर परस्पर रूप में निर्भर रहते हैं।
प्रश्न 15.विश्व बाजार की उपयोगिता या महत्त्व की चर्चा करें।
उत्तर—आर्थिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से संचालित होने को सुनिश्चित करने के लिए बाजार के स्वरूप का विश्वव्यापी होना आवश्यक होता है । व्यापारियों, श्रमिकों, पूँजीपतियों, आम मध्यम वर्ग तथा आम उपभोक्ताओं के हितों को बाजार का विश्वव्यापी स्वरूप सुरक्षित रखता है। किसानों को अपनी उपज की अच्छी कीमत प्राप्त होती है” क्योंकि बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होता है। कुशल श्रमिकों को विश्व स्तर पर पहचान तथा महत्त्व और आर्थिक लाभ इसी वैश्विक बाजार में प्राप्त होता है । रोजगार के नये अवसर विश्व बाजार में सृजित होते हैं। आधुनिक विचार और चेतना के प्रसार में भी इसका बड़ा महत्त्व होता है
प्रश्न 16. भारत के सूती वस्त्र उद्योग में गिरावट के क्या कारण थे ?
उत्तर-18वीं शताब्दी तक भारतीय सूती कपड़े की माँग सारे विश्व में थी, परंतु 19वीं शताब्दी के आते-आते अनेक कारणों से इसमें गिरावट चली आई जो
निम्नलिखित थे-
(i) भारतीय सूती कपड़े के उद्योग की गिरावट का सबसे मुख्य कारण इंगलैंड की औद्योगिक क्रांति थी जिसके कारण अब उसने भारत से सूती कपड़े का आयात बन्द कर दिया था ।
(iii) औपनिवेशिक सरकार भारतीय बाजारों में ब्रिटिश निर्मित सूती वस्त्रों की भरमार कर दी जो भारतीय वस्त्र के मुकाबले काफी सस्ते होते थे।
(iii) अंग्रेजी कम्पनी काफी कम कीमत में भारतीय कपास या रूई खरीदकर इंगलैंड भेज देती थी जिससे भारतीय निर्माताओं को अच्छी कपास मिलना मुश्किल हो गया।
(iv) इसके अलावा भारतीय सूती कपड़े के निर्यात पर काफी कर लगा दिए गए तथा ब्रिटिश-निर्मित कपड़े को काफी कम कर पर या निःशुल्क भारत आने दिया गया ।
ऐसे में भारतीय सूती वस्त्र उद्योग में लगातार गिरावट आती चली गयी ।