प्रश्न 1. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया?
उत्तर—नये-नये शहरों का उद्भव और शहरों की बढ़ती जनसंख्या ने बहुत सारी नई समस्याओं को जन्म दिया। शहरों में श्रमिकों की संख्या अधिक थी तथा लोककल्याण की भावना की कमी थी, जिसके कारण शहरों में कई नई समस्याओं का जन्म हुआ जैसे बेरोजगारी में वृद्धि, स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि ।
प्रश्न 2. शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका किस प्रकार की रही?
उत्तर—शहरों के उद्भव ने मध्यम वर्ग को भी शक्तिशाली बनाया। एक नए शिक्षित वर्ग का अभ्युदय जहाँ विभिन्न पेशों में रहकर भी औसतन एकसमान आय प्राप्त करने वाले वर्ग के रूप में उभरकर आए एवं बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किये गये। यह विभिन्न रूप में कार्यरत रहे, जैसे शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, एकाउंटेंट्स परन्तु इनके जीवन-मूल्य के आदर्श समान रहे और इनकी आर्थिक स्थिति भी एक वेतनभोगी वर्ग के रूप में उभरकर सामने आई।
प्रश्न 3. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच किन्हीं दो भिन्नताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच भिन्नताएँ
(1) ग्रामीण जीवन कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है, किन्तु शहरों में व्यापार तथा उद्योग की अर्थव्यवस्था का चलन है।
(ii) गाँवों में संयुक्त परिवार का चलन है जबकि शहरों में व्यक्तिगत परिवारों का ।
प्रश्न 4.शहर किस प्रकार की क्रियाओं के केन्द्र होते हैं ? (2013C, TBQ)
उत्तर—शहर विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के केन्द्र होते हैं, जैसे—रोजगार, व्यापार-वाणिज्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात आदि । शहर गतिशील अर्थव्यवस्था के भी केन्द्र होते हैं। शहर राजनीतिक प्राधिकार के भी महत्त्वपूर्ण केन्द्र होते हैं ।
प्रश्न 5. आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय बनावट के दो प्रमुख आधार क्या हैं ?
उत्तर आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय व्यवस्था के दो मुख्य आधार हैं—जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि-आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात । शहरों तथा नगरों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। शहरों तथा नगरों से गाँव को उनके आर्थिक प्रारूप में कृषिजन्य क्रियाकलापों में एक बड़े भाग के आधार पर भी अलग किया जाता है। गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा है। अतः, एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित थी। ऐसे वर्ग का नगरों की ओर बढ़ना गतिशील मुद्रा-प्रधान अर्थव्यवस्था के आधार पर संभव हुआ जो प्रतियोगी था एवं एक उद्यमी प्रवृत्ति से प्रेरित था । भारी संख्या में कृषक वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर शहरों की ओर नए अवसर की तलाश में बढ़े जिससे नए-नए शहरों का उदय हुआ जिसके कारण शहरों के आकार और जटिलता में भी अन्तर उत्पन्न हुआ। राजनीतिक प्राधिकार का केन्द्र प्रायः शहर बन गए ।
प्रश्न 6. किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ?
उत्तर—जिन तीन प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई, वे थीं—पहला, औद्योगिक पूँजीवाद का उदय; दूसरे, विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना और तीसरा लोकतांत्रिक
आदर्शों का विकास ।
प्रश्न 7. गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता को दर्शाएँ।
उत्तर—गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता थीं कि गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा होता है । अधिकांश वस्तुएँ कृषि उत्पाद ही होती है जो इनकी आय का प्रमुख स्रोत होते हैं । गाँव की कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन-निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित है ।
प्रश्न 8. समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस भिन्नता के आधार पर किया जाता है?
उत्तर—समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आर्थिक आधार पर किया जाता है। गाँव में रोजगार की संभावनाएँ काफी कम होती हैं जबकि शहरों की ओर व्यक्ति का पलायन इसलिए होता है कि शहरों में रोजगार की अपार संभावनाएँ होती हैं । शहर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन सुविधाएँ प्रदान करता है।
प्रश्न 9. श्रमिक वर्ग का आगमन शहरों में किन परिस्थितियों के अन्तर्गत हुआ ?
उत्तर-आधुनिक शहरों में जहाँ एक ओर पूँजीपति वर्ग का अभ्युदय हुआ तो दूसरी ओर श्रमिक वर्ग का शहरों में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के कारण कृषक वर्ग जो लगभग भूमिविहीन कृषक वर्ग के रूप में थे, शहरों की ओर बेहतर रोजगार के अवसर को देखते हुए भारी संख्या में गाँवों से शहरों की ओर इनका पलायन हुआ । इस तरह, रोजगार की संभावना को तलाशते हुए श्रमिक वर्ग का शहरों में आगमन हुआ।
प्रश्न 10. व्यावसायिक पूँजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया?
उत्तर–नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यावसायिक पूँजीवाद के उदय के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्राप्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन, मजदूरी का नगद भुगतान एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा बैंकिंग, साख का विनिमय, बीमा अनुबंध, कम्पनी साझेदारी, ज्वाएंट स्टॉक, एकाधिकार आदि इस व्यावसायिक पूँजीवादी व्यवस्था की विशेषता रही है।
इन विशेषताओं ने ही नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया ।
प्रश्न 11. नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक है ऐसी मान्यता क्यों बनी है? [TBQ]
उत्तर नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वे वर्ग होते हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं। यह सत्य है कि ये सामाजिक और आर्थिक विशेषाधिकार कुछ ही व्यक्तियों को प्राप्त थे जो अल्पसंख्यक वर्ग हैं तथा जो पूर्णरूपेण उन्मुक्त तथा सन्तुष्ट जीवन जी सकते हैं। चूँकि अधिकतर व्यक्ति जो शहरों में रहते थे बाह्यताओं में ही सीमित थे तथा उन्हें सापेक्षिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी। एक तरफ संपन्नता थी तो दूसरी ओर गरीबी, एक तरफ बाह्य चमक-दमक थी तो दूसरी ओर धूल और अंधकार । एक ओर अवसर था तो दूसरी ओर निराशा थी ।
प्रश्न 12. नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना किस प्रकार के आंदोलन या प्रयास से बनी? [TBQ]
उत्तर-शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया एवं परिवार की उपादेयता और स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया । महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या विवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार आदि आंदोलनों के माध्यम से महिलाएँ लगभग 1870 ईके बाद से राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाईं। शहरों की बढ़ती हुई आबादी के साथ उन्नीसवीं शताब्दी में अधिकतर आंदोलन जैसे चार्टिड्ग (सभी वयस्क पुरुष के लिए चलाया गया आंदोलन), दस घंटे का आंदोलन (कारखानों में काम के घंटे निश्चित करने के लिए चला आंदोलन) आदि ने नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना को विकसित किया।
प्रश्न 13. नगरीय जीवन एवं आधुनिकता, एक-दूसरे से अभिन्न रूप से कैसे जुड़े हुए हैं ?
उत्तर-शहरों का सामाजिक जीवन आधुनिकता के साथ अभिन्न रूप से जोड़ा जा सकता है । वास्तव में यह एक-दूसरे की अंतर्भभिव्यक्ति है । शहरों को आधुनिक
व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है । शहर व्यक्ति को सन्तुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएँ प्रदान करता है।
प्रश्न 14. ग्रामीण तथा नगरी जीवन में आप किस तरह का अंतर देखते हैं ?
उत्तर-ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच भिन्नताएँ
(1) ग्रामीण जीवन कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है, किन्तु शहरों में व्यापार तथा उद्योग की अर्थव्यवस्था का चलन है।
(ii) गाँवों में संयुक्त परिवार का चलन है जबकि शहरों में व्यक्तिगत परिवारों का ।