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10th Economics Short Question Chapter 2 | 10th VVI Question In Hindi

प्रश्न 1. प्रति-व्यक्ति आय क्या है ?

उत्तर- राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति-व्यक्ति आय कहते हैं।
इसका आकलन निम्न प्रकार से की जाती है।

प्रति-व्यक्ति आय= राष्ट्रीय आय/ देश की कुल जनसंख्या

प्रश्न 2. राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाईयों का वर्णन करें। [2018A, 2015A, 2011C, TBQ]

उत्तर राष्ट्रीय आय के आधार पर ही विश्व के विभिन्न देशों को हम विकसित, विकासशील और अर्धविकसित राष्ट्रों की श्रेणी में मूल्यांकन करते हैं। यद्यपि राष्ट्रीय आय राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मापने का सर्वमान्य माप है। फिर भी हमें व्यवहारिक रूप में राष्ट्रीय आय की गणना करने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है जिसे हम निम्न प्रकार से व्यक्त करते हैं.
(i) आंकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई ।
(ii) दोहरी गणना की संभावना ।
(iii) मूल्य के मापने में कठिनाई ।

प्रश्न 3. सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते हैं ?
[2017A, 2016A, M.Q., Set-V: 2016, TBQ]

उत्तर—एक देश की सीमा के अन्दर किसी भी दी गई समयावधि प्रायः एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल बाजार या मौद्रिक मूल्य
को उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 4.G.D.P. के विस्तारित रूप लिखें। 

उत्तर…Gross Domestic Product.

प्रश्न 5.N.S.S.O. के विस्तारित रूप लिखें। 

उत्तर-National Sample Survey Organisation (राष्ट्रीय सेंपल सर्वे संगठन)।

प्रश्न 6. आय से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करने के फलस्वरूप किसी व्यक्ति को जो पारिश्रमिक मिलता है, यह पारिश्रमिक उस व्यक्ति का आय कहलाता है। व्यक्ति को प्राप्त होने वाला मौद्रिक रूप अथवा वस्तुओं के रूप में भी हो सकता है ।

प्रश्न 7.G.N.P. के विस्तारित रूप लिखें।

उत्तर-Gross National Product.

प्रश्न 8. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा होती है ?

उत्तर-देश के आय के मानक को निर्धारित करने वाली संस्था जिसे डायरेक्टोरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एण्ड स्टेटिस्टिक्स (Directorate of Economicsb and Statistic) कहते हैं।

प्रश्न 9. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी?

उत्तर भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए कोई विशेष प्रयत्न नहीं किए गये थे। भारत में सबसे पहले सन् 1868 में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था। उन्होंने अपनी पुस्तक Poverty and Un-British Rule in India में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 20 रुपये बताया था ।

प्रश्न 10. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किसके द्वारा की गई थी? योजनाकाल में भारत की राष्ट्रीय आय में वृद्धि का अनुमान बताएँ। [TBQ]

उत्तर स्वतंत्रता-प्राप्ति के पूर्व भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करने का कोई सर्वमान्य तरीका नहीं था। संभवतः, सर्वप्रथम दादाभाई नौरोजी ने 1868 में अपनी पुस्तक
में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत 1951-52 से भारत में नियमित रूप से राष्ट्रीय आय और इससे संबंधित तथ्यों का अनुमान लगाया जाता है। योजनाकाल में भारत की राष्ट्रीय आय में सामान्यतया वृद्धि हुई है। 1950-51 से 2002-03 के बीच राष्ट्रीय आय एवं कुल राष्ट्रीय उत्पादन 8 गुना से भी अधिक बढ़ गया है। इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की वार्षिक विकास दर औसतन 4.2 प्रतिशत रही है। वर्तमान मूल्यों पर 2006-07 में भारत की कुल आय 33,25,817
करोड़ रुपये होने का अनुमान था।

प्रश्न 11. शुद्ध उत्पत्ति किसे कहते हैं ?

उत्तर राष्ट्रीय आय वास्तव में देश के अंदर पूरे वर्ष भर में उत्पादित शुद्ध उत्पत्ति को कहा जाता है।

प्रश्न 12. राष्ट्रीय आर्थिक विकास कब होता है ?

उत्तर-राष्ट्रीय आय के सूचकांक में वृद्धि होती है तो इससे लोगों के आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।

प्रश्न 13. व्यवसायिक गणना विधि क्या है?

उत्तर-जब व्यवसायिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है, उसे व्यवसायिक गणना विधि कहते हैं।

प्रश्न 14. भारत में आय के आधार पर कौन-कौन से राज्य उच्च एवं निम्न श्रेणी पर रखे गये हैं ?

उत्तर भारत के राज्यों में गोवा, दिल्ली तथा हरियाणा आय के आधार पर समृद्ध माना गया है तथा बिहार, उड़ीसा और मध्यप्रदेश विकास की निचली श्रेणी में है।

प्रश्न 15. वस्तु के मूल्य में विभिन्नता क्यों होती है ?

उत्तर–प्रायः एक ही वस्तु को कई व्यापारिक स्थितियों से गुजरने के कारण उस वस्तु के मूल्य में विभिन्नता आती है क्योंकि खर्च और विक्रेताओं की मुनाफे की राशि जुट जाती है।

प्रश्न 16. कुल राष्ट्रीय उत्पादन का पता कैसे लगाया जाता है ?

उत्तर–सकल घरेलू उत्पादन में देशवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को जोड़ दिया जाता है तथा विदेशियों द्वारा देश में उत्पादित वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाता है।

प्रश्न 17. राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति का सही मूल्यांकन क्यों जरूरी है ?

उत्तर—राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के संग्रहण के क्रम में यह आवश्यक होता है कि पूरे राष्ट्र के लिए एक ही मापदंड अपनाया जाए जिससे राष्ट्र की आर्थिक स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके ।

प्रश्न 18. केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के क्या कार्य हैं ?

उत्तर भारत में सांख्यिकी विभाग के अन्तर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन राष्ट्रीय आय के आकलन के लिए उत्तरदायी है । इस कार्य में राष्ट्रीय प्रतिवर्ष सर्वेक्षण
संगठन, केंद्रीय सांख्यिकी संगठन का सहायता करता है।

प्रश्न 19. अर्थशास्त्र में वितरण की धारणा से क्या समझते हैं ?

उत्तर- अर्थशास्त्र में वितरण की धारणा राष्ट्रीय आय का आकलन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है जिसे हम उत्पादन के विभिन्न साधनों की भागीदारी में हिस्सा लेने को कहते हैं। वास्तव में विभिन्न साधनों के सहयोग से राष्ट्रीय आय की प्राप्ति होती है और राष्ट्रीय आय को पुनः उन साधनों के बीच वितरित कर दिया जाता है।

प्रश्न 20. समाज का आर्थिक विकास कब संभव नहीं हो पाता?

उत्तर—जिस अनुपात में राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो रही हो, उसी अनुपात या उससे अधिक अनुपात में अगर जनसंख्या में वृद्धि हो रही हो तो समाज का आर्थिक विकास नहीं बढ़ सकता । फिर भी इन परिस्थितियों के बावजूद यदि राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, तो लोगों के आर्थिक विकास में वृद्धि साधारण तौर पर देखी जा सकती है।

प्रश्न 21. प्रतिव्यक्ति आय क्या है? प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में क्या संबंध है?

उत्तर–प्रतिव्यक्ति आय किसी देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। इस प्रकार, प्रतिव्यक्ति आय की धारणा राष्ट्रीय आय से जुड़ी हुई है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर प्रतिव्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है। लेकिन, केवल राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से ही प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि नहीं होगी। यदि आय में होनेवाली वृद्धि के साथ ही किसी देश की जनसंख्या भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है तो प्रतिव्यक्ति आय नहीं बढ़ेगी ओर लोगों के जीवन-स्तर में कोई सुधार नहीं होगा। इसी प्रकार, यदि राष्ट्रीय आय की तुलना में जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक है तो प्रतिव्यक्ति आय घट जाएगी।